फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी लेने वाले सहायक उप निरीक्षक को 7-7 वर्ष का कठोर कारावास की सजा

खरगोन। फर्जी व कुटरचित दस्तावेजों के आधार पर शासकीय नौकरी पाने वाले आरक्षक को चार विभिन्न धाराओं में 7-7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गई है। अतिरिक्त लोक अभियोजक राजकुमार अत्रे ने बताया कि अभियुक्त कपिलदेव सिंह ने यह जानते हुए कि पुलिस विभाग खरगोन में आरक्षक की नौकरी हेतु उसके द्वारा प्रस्तुत की गई अंक सूची फर्जी एवं कुटरचित है फिर भी उसने छल के प्रयोजन से कपटपूर्वक/बेईमानी से फर्जी कुटरचित अंकसूची को असली के रुप में उपयोग करके पुलिस विभाग में नौकरी हासिल करते हुए 40 वर्ष के कार्यकाल में आरक्षक से सहायक उप निरीक्षक के पद तक पहुंचा। अतिरिक्त लोक अभियोजक राजकुमार अत्रे ने बताया कि अभियुक्त कपिलदेव सिंह पिता रामचंद्र सिंह जो मूल रुप से बिहार राज्य के अलावलपुर थाना गौरीचक का निवासी है। उसने 20.10.1980 से 21.02.2020 तक की अवधि में पुलिस नौकरी का लाभ हासिल किया। अभियुक्त कपिलदेव के जीवन में नाटकीय मोड़ तब आया जब उसे उसकी बहू की हत्या के मामले में सेंधवा पुलिस ने गिरफ्तार किया। इस हत्या से व्यथित उसके समधी अखिलेश सिंह ने दस्तावेजों के साथ पुलिस थाना खरगोन में लिखित में शिकायत पे...