वैदिक संस्कृति से होगा अखंड भारत का स्वप्न साकार: सुश्री कृष्णा दीदी

चतुर्थ दिन की कथा में दिखा राष्ट्रीयता का रंग आपश्री ने कहा कथा एक बहाना है इसके माध्यम से हमे तो पूरे विश्व को जगाना है 

खरगोन वैदिक संस्कृति को विश्व पटल पर आज भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। वैदिक संस्कृति आज भी उतनी ही सशक्त, सुव्यवस्थित, सुसंगठित और अनुशासित है, जितनी की सृष्टि के उदय के समय थी। जब खंड खंड हुए देश भारत से मधुर संबंध कायम करते हुए एक सूत्र में बंधकर वैदिक संस्कृति के अनुरूप जीवन व्यापन करेंगे उस दिन भारत अखंड बन जाएगा। इस हेतु हम सबको भारत को सशक्त और तेजस्वी बनाने के लिए संकल्पित होकर प्रयास करना होगा। उक्त उदगार सुश्री कृष्णा दीदी ने श्री महामृत्युंजय शिव महापुराण के चतुर्थ के दिवस राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त के शुभ दिन व्यास गादी से व्यक्त किए। 

गौ परिक्रमा से होगा कष्टों का निवारण

रामकृष्ण की प्यारी गइया सारे जग की माता है इस कर्ण प्रिय भजन के साथ आपश्री ने देव भूमि भारत माता का गुणगान करते हुए कहा कि इस धरा पर अवतरित होने के लिए देवता भी आतुर रहते है और इस धरा गौ सेवा से बढकर कोई सेवा नहीं है शास्त्रों में तो कामधेनु आदि गौ महत्व के बारे में बताया गया है, लेकिन विज्ञान में भी गौ को लेकर काफी महत्व है। विज्ञान में भी गौ को चमत्कारिक माना गया है। गौ की परिक्रमा कर हम कष्ट रोग से मुक्ति पा सकते है शास्त्रों अनुसार गौ की सेवा तो देवताओं ने भी की है अतः हम गौ की जितनी सेवा करे वह कम है सनातन धर्म में गौ सेवा को परमो धर्म माना गया है।

सुकताल के मनोरथी का अभिनंदन हुआ

पवित्र तीर्थ सुकताल में सुश्री कृष्णा दीदी की कथा कराने वाले मानोरथी श्रीमती निर्मला डोंगरे जी का अभिनंदन श्री महामृत्युंजय शिव महापुराण के मनोरथी श्रीमती शारदा राजाराम पटेल द्वारा किया गया। चतुर्थ दिवस की कथा विराम पर श्रद्धालुओं ने ढोल ताशे के साथ हर हर महादेव का जयघोष करते हुए आपश्री के साथ गौ शाला की चार परिक्रमा की। 




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