किसानों के साथ जिनिंग संचालकों के लिए आफत साबित हो रही बारिश, खुले में पड़ा करोड़ों का कपास भीगा
कसरावद रोड़ पर तेज बारिश से जिनिंग में बाढ़ से हालात, तिनके की तरह कपास के ढ़ेर को बहा ले गया पानी
खरगोन। शहर सहित जिले में मौसम में आया बदलाव राहत के बजाय आफत साबित हो रहा है। अचानक शुरु हुई बारिश किसानों के साथ जिनिंग संचालकों के लिए मुसीबत बन गई है। किसानों के अनुसार जिले में रुक-रुककर कभी तेज तो कभी रिमझिम बारिश हो रही है, नतीजतन खेतों में खड़ी फसल गलने लगी है। खासकर कपास फसल को नुकसान हुआ है। वहीं जिनिंग संचालकों के लिए भी बारिश परेशानी का सबब बनी हुई है। कसरावद रोड़ पर शनिवार को तुफानी बारिश हुई। बारिश के चलते जिनिंग में बाढ़ से हालात निर्मित हो गए। इसका सोशल मीडिया में वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें तेज बहाव के साथ जिनिंग में रखा सैंकड़ों क्विंटल बहते नजर आ रहा है।
कसरावद रोड़ पर संचालित हो रही केके फायबर्स, टेमला रोड़ पर किसान जिनिंग सहित जुलवानिया रोड़ पर संचालित हो रही जिनिंग फैक्ट्रियों में तेज बारिश से करोड़ों रुपए का कपास भीगकर खराब होने के समाचार मिले है। केके फायबर्स जिनिंग संचालक प्रितेश अग्रवाल ने बताया कि रविवार दोपहर में अचानक तेज बारिश का दौर शुरु हो गया। महज आधे घंटे में जिनिंग परिसर पानी-पानी हो गया। वर्तमान में कपास मंड़ी में बंपर आवक के चलते जिनिंगों में भारी मात्रा में कपास का भंडारण किया गया है। श्री अग्रवाल ने बताया नमी वाला कपास खरीदने के गोडाउन के बजाय जिनिंग परिसर में सूखने के लिए कपास रखा गया था। उनकी जिनिंग में करीब 700 क्विंटल कपास तेज बारिश के चलते गीला हो गया। ऐसा नही है कि कपास के बचाव के प्रयास नही किए। शनिवार दोपहर रिमझिम बारिश होने से तिरपाल से कपास को ढंक दिया था, लेकिन रविवार हुई तेज बारिश में तिरपाल का बचाव काम नही आया। बारिश की गति इतनी तेज भी मानो बादल फट गया हो, जिनिंग परिसर में तेज बहाव के साथ पानी कपास के ढेरों में जा घुसा औ तिनके की तरह कपास बहा ले गया। श्री अग्रवाल के मुताबिक जिनिंगों में करीब 2 करोड़ रुपए से अधिक का कपास गीला होने से खराब हुआ है। श्री अग्रवाल ने बताया कपास में नमी होती है, लेकिन अधिक मात्रा में गीला होने से वह सूखाया नही जा सकता। उसकी चमक खाने के साथ गुणवत्ता खत्म हो जाती है। वहीं किसानों के मुताबिक वर्तमान में कपास की फसल तैयार है, लेकिन चुनाई के लिए समय पर मजदूर नही मिलने और मंडी में खरीदी बंद होने से फसल खेतों में ही खड़ी है। बारिश के चलते खिला कपास पौधे से टूटकर खेतों में गिर रहा है और पानी में भीगकर काला पड़ रहा है। ऐसे में इस कपास के उचित दाम नही मिल पाएंगे।
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