ब्रह्मलीन परम् पूज्य ज्ञान प्रकाश जी महाराज की पुण्यतिथि मनाई गई

 दो दिवसीय आयोजन आश्रम मे सम्पन्न हुये 

















बडवाह। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी दशमी के अवसर पर नर्मदा के उत्तर तट नावघाट खेड़ी स्थित विरक्त कुटी आश्रम मे परम् पूज्य अवधूत जी महाराज के गुरुदेव ब्रह्मलीन परम् पूज्य ज्ञान प्रकाश जी महाराज की पुण्यतिथि मनाई गई।दो दिवसीय आयोजन के दौरान शनिवार को अखंड रामायण पाठ का आयोजन का रविवार को सम्पन्न हुआ|आश्रम ट्रस्टी अध्यक्ष अशोक एरन सचिव प्रफुल पटेल दिलीप पटेल ईश्वरचंद दससानी सुरेश खंडेलवाल कैलाश डालूका ने बताया कि सुबह वैद पाठी पंडित आचार्य पंडित दयाशंकर पाठक पंडितप्रितेश व्यास के द्वारा ब्रह्मलीन परम् पूज्य ज्ञान प्रकाश जी महाराज कि चरणपादुकाओ का पूजन अर्चन के पश्चात मंदिर मे बने अवधेश्वर महादेव भगवान का भव्य श्रंगार कर सजाया एव पूजन अर्चना और भंडारे का आयोजन हुआ।दूर.दूर से संत महात्मा भी आए थे और भजनों के माध्यम से ब्रह्मलीन महाराज और प्रभु का गुणगान भी किया गया।

अखंड रामायण पाठ का समापन हुआ 

यजमान दिलीप पाटीदार द्वारा शनिवार को अखंड रामायण पाठ का आयोजन कि शुरुवात हुई थी जिसका रविवार को समापन हुआ|रविवार सुबह हवन किया और संतों व श्रद्धालुओं ने आहुति दी गई।इसके बाद ट्रस्टी के सदस्यो ने विधि.विधान के साथ पूजा.अर्चना की।मंदिर को फूलों.लाइटों से सजाया गया था। 

आश्रम का उद्देश्य नर्मदा परिक्रमा वासियो की सेवा करना आश्रम ट्रस्टी अध्यक्ष अशोक एरन ने कहाकि नर्मदा परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु को लिए ट्रस्टी द्वारा सदाव्रत का अखंड संकल्प ले रखा है।नर्मदा परिक्रमावासियों को भोजन ठहरने सहित अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया जाता है।

भक्ति में सच्चाई है तो भगवान जरूर मिलते हैं

बड़वाह। सार्वजनिक महिला मण्डल बड़वाह द्वारा शहर के गोपाल मंदिर परिसर में आयोजित नानी बाई रो मायरो कथा के अंतिम दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा के पूर्व भगवान कृष्ण रीमोट कंट्रोल की छोटी गाडी पर भगवान कृष्ण नानीबाई का मायरा भरने पहुंचे|शहर के एमजीरोड स्थित आनदेशवर महादेव मंदिर से भव्य शोभायात्रा नानीबाई के मायरों की निकाली गई|जोकि गोलबिल्डिंग झण्डा चौक शीतला माता बाजार नागेश्वर मार्ग होते हुये कथा स्थल पहुची|जहा समारोह पूर्वक समापन हुआ। राधा-कृष्ण एवं कथावाचक महंत हनुमान दास जी महाराज बग्गी में विराजित थे|जगह-जगह श्रद्धालुओ ने पुष्प वर्षा से स्वागत किया इस दौरान अनेक मनोहरी झांकियां सजाई गई जिनके दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कथावाचक महंत हनुमानदास जी महाराज ने कहा कि भगवान को अगर सच्चे मन से हम याद करते है तो भगवान स्वयं हमारे पास चले आते है।नानी बाई रो मायरो की कथा भी भक्त और भगवान के आपसी प्रेम व भक्ति का प्रतीक है।इस कथा में भक्त नरसी ने अपनी भक्ति से भगवान श्रीकृष्ण को पा लिया।मायरा की कथा केवल कथा नहीं बल्कि भारतीय जीवन दर्शन का एक जीता जागता ग्रन्थ है।जिसमें सभी को प्रेम सौहाद्र्ध और भक्ति से जीने की प्रेरणा मिलती है।नृर्सिंहजी ने कहा प्रभु मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे तो राधा-कृष्ण के दर्शन करवा दो|उन्होंने कहा कि इसलिए कहा जाता है कि भक्ति में सच्चाई है तो भगवान जरूरी मिलते हैं| 

भगवान स्वयं राधा रूकमणी सहित आए और मायरा भरा

महंत हनुमानदास जी महाराज ने कहा कि नरसीजी जब नानी बाई के घर गए तो उनके पास देने के कुछ नहीं था।ऐसे में भक्त नरसीजी ने भगवान को याद किया। उनकी पुकार सुनकर भगवान श्रीकृष्ण राधा रूकमणी को साथ लेकर आए और भक्तो द्वारा मायरा भरा।उन्होंने कहा कि नरसी भक्त के पास भगवान के भजन एवं भगवान के प्रति अगाध श्रद्धा का ही परिणाम रहा कि भगवान स्वयं राधा रूकमणी सहित आए और मायरा भरा। यह दर्शाता है कि सच्चे मन से भगवान को पुकारने पर भगवान स्वयं दौड़े चले आते है।मनुष्य पैसों से बड़ा नहीं बन सकता है। बल्कि उसके भाव एवं कर्म अच्छे हैं तो भगवान उसकी सहायता करते है।

भजनों पर झूमे श्रोता

कार्यकम में सार्वजनिक महिला मण्डल बड़वाह द्वारा एव दिवयांश प्ंड्या द्वारा मनमोहक भजनों की प्रस्तुतियों से श्रद्धालुगण भाव.विभोर हो गए। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने राधे.कृष्णा राधे.कृष्णा के संकीर्तन से पांडाल केा गुंजायमान कर दिया।

मायरा भरने के बाद बाद फूलों की होली खेली गई।

कथावाचक महंत हनुमानदास जी महाराज ने कहा कि नानी बाई को उसकी सास और ननद ने बहुत परेशान किया और बोला कि तेरे परिवार से कोई नहीं आया मायरा भरने।इस पर नानी बाई परेशान होकर भगवान ठाकुरजी का स्मरण करती है ओर अपनी सास से बोलती है।मेरे ठाकुरजी मेरा मायरा भरने आएंगे।नानी बाई भगवान से बोलती है कि भगवान आप ही मेरे सब कुछ हो अब आप ही मेरी लज्जा रखना।इसके बाद भगवान कृष्ण ने कहा रूक्मणी और मैं मायरा भरने आएंगे। इस पर नानीबाई ने अपनी सास से बोला क्या आप अपनी लिस्ट भेजो कितना मारा चाहिए।इधर तीसरे दिन भगवान नानी बाई का मायरा लेकर पहुंचे। यह देख नानी बाई की सास चकाचौंध रह गई।भगवान ने नानी बाई के ससुराल पक्ष के लिए एक से बढ़कर एक चीज लेकर आए।मायरा भरने के बाद बाद फूलों की होली खेली गई।फूलों की होली के बाद कथा का समापन हुआ।

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