श्मशान,शिखर ओर सिंहासन पर अकेला ही जाया जाता है: पंडित मिश्रा

सात दिवसीय वैष्णव शिव महापुराण कथा सम्पन्न

सफल आयोजन पर पाठक परिवार ने जताया आभार

खरगोन। जीवन में कोई जीव अकेला नहीं, कभी खुद को अकेला महसूस न करें क्योकि श्मशान, शिखर ओर सिंहासन पर अकेला ही जाया जाता है। शुभकर्म में किसी के साथ का इंतजार न करें। अकेले भी कर्म, धर्म करने का मौका मिलता है तो इसे गंवाना मत। भगवान जब परिक्षित की रक्षा के लिए उत्तरा के गर्भ में आ सकते है तो खरगोनवालों की रक्षा के लिए क्योंं नहीं आ सकते? 

उक्त उद्गार स्वर्गीय श्री जयप्रकाश पाठक स्मृति सेवा समिति द्वारा आयोजित 7 दिवसीय श्री वैष्णव शिवमहापुराण कथा के 12 ज्योतिर्लिग  प्रसंग का मनोहारी वर्णन करते हुए ख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा विराम दिवस पर व्यक्त किए। 

सद्मार्ग पर चलोगे तो मोक्ष पाओगे

कलेश, झूठ, प्रपंच, बेईमानी, यह सब नर्क के द्वार है, इनसे बचना उत्थान और इनमें उलझे रहना पतन के समान है। ईश्वर भक्त  के बिना और भक्त ईश्वर के बिना नहीं रह सकता। जन्म से लेकर मृत्यु तक ईश्वर साथ होते है, सद्मार्ग पर चलोगे तो मोक्ष पाओगे। उसने जन्म दिया, उदर(पेट) दिया तो भरने कि जिम्मेदारी भी उसकी है।

राष्ट्र सेवा का भाव रखो

कई बार लोग धर्म के नाम पर आडम्बर करते है, हमनें भगवान के लिए व्यसन, परिवार, प्याज, लहसून आदि छोड़ दिया है, अरे छोडऩा है तो छल, कपट, जलन भाव, मोह माया छोड़ो, किसी का दिल दु:खाना छोड़ों। धर्म के साथ राष्ट्र सेवा का भाव रखो। राष्ट्र संवरे ऐसा लक्ष्य होना चाहिए।  ईश्वर को भजने से उन्हें नहीं तुम्हें लाभ मिलेगा। जैसे माता-पिता सन्तान को अपने से अलग करना नहीं चाहते, वैसे ईश्वर अपनी सन्तान को अलग नहीं करना चाहते। ईश्वर ने तुम्हें मृत्युलोक पर आपके पूर्व जन्म के कर्मो को सुधारने के लिए मानव स्वरुप में भेजा है। इसे भटकाने के बजाय प्रभु भजन में लगाओ। प्रभु भजने से पूर्व जन्म के कर्म कट जाएंगे और ईश्वर को पाओगे।  मंथन प्रसंग सुनाते हुए कहा समुद्र मंथन देवताओं और असुरों ने मिलकर किया था, इसके पीछे संदेश था कि दुनिया में अच्छे बुरे लोग दोनो मिलकर मंथन करें तो विष और अमृत दोनों मिलेंगे। जैसे अच्छे और बुरे लोग होते है वैसे ही अच्छे और बुरे विचार, रिश्ते भी होते है। मंथन के दौरान सबसे पहले पांच गाये निकली थी, जो हाथ, पैर, मुंह, जिह्वा और कान के समान है। कान मिले है सद्वाक्य, धर्म का श्रवण करो, मुंह से अच्छा बोलो, जिव्हा से बुरा कहने से बचो, पैरों को गलत मार्ग पर चलने से रोको, हाथों से दान करो। 

परिसर में किया पौधरोपण

पंडित मिश्रा ने कथा के अंतिम दिन कथास्थल परिसर में आयोजक तुषाक पाठक परिवार के साथ बिल पत्र और शमी के पौधे का रोपण किया। उन्होंने कहा इन पौधों की तरह कथा परिसर सहित शहर दिनोंदिन पल्लवित होता रहे। पाठक परिवार की ओर से कथा के अंत में पंडित प्रदीप मिश्रा को स्मृति चिन्ह व अभिनंदन पत्र भेंटकर कृतज्ञ भाव से विदाई दी गई। 

सहयोग से हुआ आयोजन पूर्ण

सफल आयोजन की समाप्ति पर श्री वैष्णव शिव महापुराण कथा के मुख्य यजमान तुषार पाठक ने कहा कि खरगोन कि सहृदय जनता के स्नेह, 200 से अधिक कार्यकर्ताओं कि मेहनत, समर्पण और सेवाभावना के साथ ही शासन, प्रशासन, मीडियाकर्मियों के मुक्त हृदय से सहयोग के चलते यह भावभरा आयोजन बिना किसी बाधा के पूर्ण हुआ। स्व. जयप्रकाश पाठक स्मृति सेवा समिति सभी प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष सहयोगियों का हृदय से आभार व्यक्त करती है। श्री पाठक ने कहा कि अल्प समय में हुई तैयारियों में यदि कोई कमी पेशी या श्रद्धालूओं को कोई असुविधा हुई हो तो उसके लिए आयोजन समिति क्षमाप्रार्थी है। 


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